केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक संकल्प के माध्यम से 01 जनवरी, 2015 को नीति आयोग का गठन किया गया। नीति आयोग की शासी परिषद, जिसमें सभी राज्यों और विधान सभा वाले संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्यमंत्री और अन्य संघ राज्य क्षेत्रों के उप राज्यपाल शामिल हैं, मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा जारी अधिसूचना के माध्यम से 16 फरवरी, 2015 को प्रभाव में आई। मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा 19 फरवरी, 2021 की अधिसूचना के माध्यम से शासी परिषद का पुनर्गठन किया गया।
शासी परिषद एक प्रमुख निकाय है जिसे राष्ट्रीय विकास की रूपरेखा तैयार करने में राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और कार्यनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करने का काम सौंपा गया है। शासी परिषद, जो सहकारी संघवाद के उद्देश्यों का प्रतीक है, राष्ट्रीय विकास एजेंडा के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए अंतर-क्षेत्रक, अंतर-विभागीय और संघीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मंच प्रस्तुत करती है।
माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्यमंत्रियों/ उप राज्यपालों और शासी परिषद के अन्य सदस्यों के साथ अब तक शासी परिषद की सात बैठकें हो चुकी हैं।
- दसवीं बैठक: 24 मई 2025

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में नीति आयोग की 10वीं शासी परिषद की बैठक की अध्यक्षता की। इसमें 24 राज्यों और 7 संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्यमंत्रियों और उपराज्यपालों ने भाग लिया। इस वर्ष का विषय विकसित भारत @2047 के लिए विकसित राज्य था। बैठक की शुरुआत में पहलगाम आतंकवादी हमले के पीड़ितों की याद में एक मिनट का मौन धारण किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर भारतीय की यह आकांक्षा है कि देश विकसित भारत बने। यह किसी पार्टी का एजेंडा नहीं है बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षा है। उन्होंने कहा कि यदि सभी राज्य इस लक्ष्य की दिशा में मिलकर काम करेंगे तो हम शानदार प्रगति करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि हमें प्रतिबद्ध होना चाहिए कि हर राज्य, हर शहर, हर गांव का विकास किया जाए तभी 2047 से बहुत पहले विकसित भारत हासिल किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में उभरा है और 25 करोड़ लोग गरीबी से मुक्त हुए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को इस परिवर्तन की गति बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने राज्यों को अपनी विनिर्माण क्षमता का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने विनिर्माण मिशन की घोषणा की है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक निवेशक भारत में बहुत रुचि रखते हैं। उन्होंने राज्यों को इस अवसर का उपयोग करने और निवेश के लिए इसे आसान बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के साथ हाल के व्यापार समझौतों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि राज्यों को इसका इष्टतम उपयोग करना चाहिए।
कौशल पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एनईपी शिक्षा और कौशल पर जोर देती है। उन्होंने कहा कि राज्यों को विभिन्न कौशल के लिए योजना बनानी चाहिए जो एआई, सेमीकंडक्टर, 3डी प्रिंटिंग जैसी आधुनिक तकनीकों के अनुरूप हों। उन्होंने कहा कि हम अपने जनसांख्यिकीय लाभांश के कारण दुनिया की कौशल राजधानी बन सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सरकार द्वारा कौशल विकास के लिए 60,000 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी गई है। राज्यों को कौशल बढ़ाने के लिए आधुनिक प्रशिक्षण बुनियादी ढांचे और ग्रामीण प्रशिक्षण केंद्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने साइबर सुरक्षा को एक चुनौती के साथ-साथ एक अवसर के रूप में उद्धृत किया। हाइड्रोजन और हरित ऊर्जा पर उनके द्वारा अपार क्षमता और अवसरों के क्षेत्र के रूप में जोर दिया गया था।
- नौवीं बैठकः 27 जुलाई, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नीति आयोग की 9वीं शासी परिषद की बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र, नई दिल्ली में आयोजित की गई। इसमें 20 राज्यों और 6 संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्यमंत्रियों/उप राज्यपालों ने भाग लिया।
प्रधानमंत्री ने विकसित भारत @2047 के विज़न को पूरा करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र के सहयोग और एकजुट प्रयास पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने पिछले दस वर्षों में स्थिर विकास हासिल किया है। भारतीय अर्थव्यवस्था, जो 2014 में विश्व की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी, 2024 तक 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई। उन्होंने कहा कि अब सरकार और सभी नागरिकों का एकमात्र लक्ष्य दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हमारे देश ने पिछले दस वर्षों में सामाजिक और आर्थिक अवसंरचना को मजबूत करके काफी प्रगति की है। पहले भारत मुख्य रूप से आयात पर आधारित देश था, लेकिन अब यह विश्व को अनेक उत्पादों का निर्यात करता है। देश ने रक्षा, अंतरिक्ष, स्टार्ट-अप और खेल जैसे व्यापक क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने 140 करोड़ नागरिकों के आत्मविश्वास और उत्साह की सराहना की, जो हमारे देश की प्रगति के पीछे प्रेरक शक्ति है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह परिवर्तन का दशक है जो विभिन्न क्षेत्रों में बहुत सारे अवसर लेकर आया है। उन्होंने राज्यों को इन अवसरों का लाभ उठाने और नीति निर्माण तथा क्रियान्वयन में नवीन दृष्टिकोणों के माध्यम से विकास के लिए अनुकूल नीतियां बनाने तथा शासन कार्यक्रम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने कहा कि विकसित भारत का सपना विकसित राज्यों के माध्यम से साकार किया जा सकता है और विकसित भारत की आकांक्षा जमीनी स्तर यानी प्रत्येक जिले, ब्लॉक और गांव तक पहुंचनी चाहिए। इसके लिए, प्रत्येक राज्य और जिले को 2047 के लिए एक विज़न तैयार करना चाहिए ताकि विकसित भारत @2047 को साकार किया जा सके।
प्रधानमंत्री ने नीति आयोग द्वारा संचालित आकांक्षी जिला कार्यक्रम की सराहना की और कहा कि इसकी सफलता की कुंजी मापनीय मापदंडों की निरंतर और ऑनलाइन निगरानी है, जिससे विभिन्न सरकारी योजनाओं में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए जिलों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा हुई।
प्रधानमंत्री ने युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करने के लिए कौशल और प्रशिक्षण पर जोर दिया, क्योंकि दुनिया कुशल मानव संसाधन के लिए भारत की ओर उत्साहपूर्वक देख रही है।
उन्होंने राज्यों को निवेशक-अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने नीति आयोग को मापदंडों का एक 'निवेश-अनुकूल चार्टर' तैयार करने का निर्देश दिया, जिसमें निवेश आकर्षित करने के लिए लागू की जाने वाली नीतियां, कार्यक्रम और प्रक्रियाएं शामिल होंगी। निवेश आकर्षित करने के लिए राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए इन मापदंडों में उपलब्धि पर राज्यों की निगरानी की जा सकती है। उन्होंने निवेश आकर्षित करने के लिए केवल प्रोत्साहन के अलावा कानून और व्यवस्था, सुशासन और बुनियादी ढांचे के महत्व पर भी बल दिया।
प्रधानमंत्री ने जल संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए राज्य स्तर पर नदी ग्रिड बनाने को प्रोत्साहित किया।
उन्होंने सुझाव दिया कि हमें विकसित भारत के लिए प्राथमिकता के तौर पर गरीबी उन्मूलन को लक्ष्य बनाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें गरीबी से निपटने के लिए केवल कार्यक्रम स्तर पर नहीं बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर से गरीबी को दूर करने से हमारे देश में बदलाव आएगा।
प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों को कृषि में उत्पादकता और विविधीकरण बढ़ाने तथा किसानों को बाजार से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने प्राकृतिक खेती के तरीकों को अपनाने पर जोर दिया, जिससे मिट्टी की उर्वरता में सुधार हो सकता है, कम लागत के कारण किसानों को बेहतर और त्वरित लाभ मिल सकता है तथा उत्पादों के लिए वैश्विक बाजार भी उपलब्ध हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने राज्यों को भविष्य में वृद्ध हो रही जनसंख्या की समस्या से निपटने के लिए जनसांख्यिकी प्रबंधन योजनाएं शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रधानमंत्री ने राज्यों से सभी स्तरों पर सरकारी अधिकारियों की क्षमता निर्माण करने को कहा और इसके लिए उन्हें क्षमता निर्माण आयोग के साथ सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।
मुख्यमंत्रियों/उप राज्यपालों ने विकसित भारत @2047 के विज़न के लिए विभिन्न सुझाव दिए और अपने राज्यों में उठाए जा रहे कदमों पर भी चर्चा की। कृषि, शिक्षा और कौशल विकास, उद्यमिता, पेयजल, अनुपालन में कमी, शासन, डिजिटलीकरण, महिला सशक्तिकरण, साइबर सुरक्षा आदि के क्षेत्र में कुछ प्रमुख सुझाव और सर्वोत्तम प्रथाओं पर प्रकाश डाला गया। कई राज्यों ने 2047 के लिए राज्य विज़न बनाने के लिए अपने प्रयासों को भी साझा किया।
प्रधानमंत्री ने नीति आयोग को बैठक के दौरान राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा दिए गए सुझावों का अध्ययन करने का निर्देश दिया।
उन्होंने बैठक में भाग लेने और अपने विचार और अनुभव साझा करने के लिए सभी मुख्यमंत्रियों और उप राज्यपालों के प्रति आभार व्यक्त किया और विश्वास व्यक्त किया कि भारत सहकारी संघवाद की शक्ति के माध्यम से विकसित भारत @2047 के विज़न को पूरा करने की राह पर आगे बढ़ रहा है।
- आठवीं बैठकः27 मई, 2023

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नीति आयोग की 8वीं शासी परिषद की बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित न्यू कन्वेंशन सेंटर में आयोजित की गई। इसमें 19 राज्यों और 6 संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्यमंत्रियों/उपराज्यपालों ने भाग लिया।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र, राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों को टीम इंडिया के रूप में काम करना चाहिए और विकसित भारत @ 2047 के लिए लोगों के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नीति आयोग राज्यों को अगले 25 वर्षों के लिए अपनी रणनीति विकसित करने और उसे राष्ट्रीय विकास एजेंडे के साथ जोड़ने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों से नीति आयोग के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया ताकि देश अमृत काल के अपने विज़न को हासिल करने की दिशा में बड़ी प्रगति कर सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नीति आयोग सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद को मज़बूत करने के लिए आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) और आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम (एबीपी) जैसी कई पहल कर रहा है। ये दोनों कार्यक्रम केंद्र, राज्य और जिलों के साथ मिलकर काम करने की शक्ति और जमीनी स्तर पर आम नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने में डेटा-संचालित शासन के प्रभाव को दर्शाते हैं।
प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष में श्री अन्न को बढ़ावा देने के लिए राज्यों और केंद्र की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अमृत सरोवर कार्यक्रम के माध्यम से जल संरक्षण की दिशा में काम करने की आवश्यकता पर भी विचार-विमर्श किया।
प्रधानमंत्री ने राज्य स्तर पर राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने के महत्व के बारे में बात की। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे न केवल बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स के लिए बल्कि स्थानीय क्षेत्र के विकास और सामाजिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए भी गति शक्ति पोर्टल का सक्रिय रूप से उपयोग करें।
प्रधानमंत्री ने वैश्विक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लोगों को कौशल प्रदान करने, एमएसएमई को समर्थन देने, देश की पर्यटन क्षमता को विकसित करने, छोटे-मोटे अपराधों को अपराधमुक्त करने सहित राज्य स्तर पर अनुपालन को कम करने, एकता मॉल बनाने के महत्व के बारे में भी बात की। नारी शक्ति के बारे में बात करते हुए उन्होंने महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने 2025 तक टीबी के खतरे को खत्म करने के बारे में भी बात की।
मुख्यमंत्रियों/उप राज्यपालों ने नीतिगत स्तर पर कई सुझाव दिए। उन्होंने राज्यों से संबंधित विशिष्ट मुद्दों का उल्लेख किया, जिनके लिए केंद्र-राज्य सहयोग की आवश्यकता है। उनके द्वारा बताए गए कुछ प्रमुख सुझावों और सर्वोत्तम प्रथाओं में हरित रणनीतियों को अपनाना, क्षेत्रवार नियोजन की आवश्यकता, पर्यटन, शहरी नियोजन, कृषि, कारीगरी की गुणवत्ता, लॉजिस्टिक्स आदि जैसे क्षेत्र शामिल थे।
प्रधानमंत्री ने बैठक में भाग लेने और अपने विचार और अनुभव साझा करने के लिए मुख्यमंत्रियों और उप राज्यपालों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नीति आयोग राज्यों की चिंताओं, चुनौतियों और सर्वोत्तम प्रथाओं का अध्ययन करेगा और उसके बाद आगे की योजना बनाएगा।
- सातवीं बैठकः 7 अगस्त, 2022

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सहकारी संघवाद की भावना से सभी राज्यों के सामूहिक प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यही वह ताकत है जिसने भारत को कोविड महामारी से उभरने में मदद की।
नीति आयोग की शासी परिषद (जीसी) की सातवीं बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "हर राज्य ने अपनी क्षमता के अनुसार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कोविड के खिलाफ भारत की लड़ाई में योगदान दिया। इसके कारण भारत विकासशील देशों के लिए एक उदाहरण के रूप में उभरा है, जिसे वैश्विक नेता के रूप में देखा जा रहा है।"
महामारी की शुरुआत के बाद से यह शासी परिषद की पहली फिजिकल बैठक थी, जबकि 2021 की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए हुई थी। बैठक में 23 मुख्यमंत्रियों, 3 उप राज्यपालों और 2 प्रशासकों और केंद्रीय मंत्रियों ने भाग लिया। बैठक का संचालन रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने किया।
अपने उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड संकट के दौरान भारत का संघीय ढांचा और सहकारी संघवाद विश्व के लिए एक मॉडल के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि भारत ने विश्व के विकासशील देशों को एक शक्तिशाली संदेश दिया है कि संसाधनों की सीमाओं के बावजूद सामर्थ्य के साथ चुनौतियों का सामना करना संभव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका श्रेय राज्य सरकारों को जाता है, जिन्होंने राजनीतिक सीमाओं से परे सहयोग के माध्यम से लोगों को सार्वजनिक सेवाओं की जमीनी स्तर पर सुपुर्दगी (डिलीवरी) पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सातवीं बैठक राष्ट्रीय प्राथमिकताओं की पहचान करने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच महीनों तक चले गहन विचार-विमर्श और परामर्श का परिणाम थी। प्रधानमंत्री ने कहा, "सभी मुख्य सचिव धर्मशाला में एक साथ मिले और तीन दिनों में राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। इस सामूहिक प्रक्रिया के परिणामस्वरूप इस बैठक का एजेंडा तैयार हुआ।"
इस वर्ष, शासी परिषद ने चार प्रमुख एजेंडा मदों पर चर्चा की:
1. फसल विविधीकरण और दलहन, तिलहन और अन्य कृषि-उत्पादों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना;
2. स्कूली शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का कार्यान्वयन;
3. उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कार्यान्वयन; और
4. शहरी शासन।
प्रधानमंत्री ने उपर्युक्त सभी मुद्दों के महत्व पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से भारत को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर और वैश्विक रूप से अग्रणी बनने के लिए आधुनिक कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि तेजी से हो रहा शहरीकरण भारत की कमजोरी के बजाय ताकत बन सकता है, क्योंकि इसके लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर जीवन को आसान बनाया जा सकता है, पारदर्शी सेवा वितरण सुनिश्चित किया जा सकता है और शहरी भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने 2023 में भारत की जी-20 अध्यक्षता के बारे में भी बात की और इसे विश्व को यह दिखाने का एक अनूठा अवसर बताया कि भारत सिर्फ दिल्ली नहीं है, यह देश का हर राज्य और संघ राज्य क्षेत्र है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें जी-20 के चलते एक जन आंदोलन विकसित करना चाहिए। इससे हम देश में उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं की पहचान कर सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि इस पहल से अधिकतम संभव लाभ प्राप्त करने के लिए राज्यों में जी-20 के लिए एक समर्पित टीम होनी चाहिए। इस बारे में बोलते हुए, केंद्रीय विदेश मंत्री श्री एस. जयशंकर ने कहा, "जी-20 अध्यक्षता एक महान अवसर और एक बड़ी जिम्मेदारी है। जी-20 के इतिहास में पहली बार, भारत पूरे वर्ष जी-20 बैठकों की मेजबानी करेगा, न केवल दिल्ली में, बल्कि हर राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों में।"
केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने शिक्षण परिणामों को बढ़ावा देने, शिक्षकों की क्षमता निर्माण और कौशल विकास के लिए की गई कई पहलों पर प्रकाश डालते हुए राज्यों को धन्यवाद दिया और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल कार्यान्वयन के लिए उनसे और अधिक सहयोग देने का अनुरोध किया।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री सुमन बेरी ने दोहराया कि भारत का परिवर्तन इसके राज्यों में होना चाहिए। उन्होंने महामारी के बाद पुनरुत्थानशील भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए केंद्र और राज्यों के संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
बैठक में उपस्थित प्रत्येक मुख्यमंत्री और उप राज्यपाल ने बैठक को संबोधित किया और अपने-अपने राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों की प्राथमिकताओं, उपलब्धियों और चुनौतियों पर प्रकाश डाला, जिसमें चार प्रमुख एजेंडा मदों पर विशेष ध्यान दिया गया।
अपने समापन भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रत्येक राज्य को दुनिया भर में हर भारतीय मिशन के माध्यम से अपने 3टी, व्यापार, पर्यटन, प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्यों को आयात कम करने, निर्यात बढ़ाने और हर राज्य में इसके लिए अवसरों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने बताया "हमें लोगों को जहाँ भी संभव हो स्थानीय सामान का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि 'वोकल फॉर लोकल' किसी एक राजनीतिक दल का एजेंडा नहीं बल्कि एक साझा लक्ष्य है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भले ही जीएसटी संग्रहण में सुधार हुआ है, लेकिन हमारी संभावना इससे कहीं अधिक है। उन्होंने कहा, "जीएसटी संग्रहण बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्यों को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। यह हमारी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए महत्वपूर्ण है।" राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एनईपी को काफी विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें इसके कार्यान्वयन में सभी हितधारकों को शामिल करना चाहिए और इसके लिए एक स्पष्ट, समयबद्ध रोडमैप विकसित करना चाहिए।
उन्होंने बैठक में भाग लेने और अपने विचार और अनुभव साझा करने के लिए मुख्यमंत्रियों और उप राज्यपालों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि नीति आयोग राज्यों की चिंताओं, चुनौतियों और सर्वोत्तम प्रथाओं का अध्ययन करेगा और उसके बाद आगे की योजना बनाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस बैठक में चर्चा किए गए मुद्दे अगले 25 वर्षों के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को परिभाषित करेंगे और आज हम जो बीज बोएंगे, वे 2047 तक भारत के लिए फलीभूत होंगे।
सातवीं बैठक में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, नीति आयोग के उपाध्यक्ष, सदस्य और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मंत्रिमंडल सचिव, सचिव (डीओपीटी, संस्कृति, डीओएसईएंडएल, उच्च शिक्षा और एमओएचयूए), राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्य सचिव और प्रधानमंत्री कार्यालय, मंत्रिमंडल सचिवालय, नीति आयोग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

- छठीं बैठकः 20 फरवरी, 2021

नीति आयोग की शासी परिषद की छठी बैठक 20 फरवरी 2021 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित की गई। इसमें 26 मुख्यमंत्रियों, 3 उप राज्यपालों और 2 प्रशासकों के अलावा केंद्रीय मंत्रियों जो पदेन सदस्य हैं और विशेष आमंत्रितों ने भाग लिया। नीति आयोग के उपाध्यक्ष, सदस्य और सीईओ; प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव और प्रधानमंत्री कार्यालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी; मंत्रिमंडल सचिव; और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्य सचिव भी बैठक में शामिल हुए। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने बैठक का संचालन किया।
माननीय प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सहकारी संघवाद भारत की प्रगति का आधार है। सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद को और अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए और इसे जिला स्तर तक ले जाना चाहिए। देश कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का प्रबंधन करने में केवल इसलिए सफल हुआ है क्योंकि केंद्र और राज्यों ने साझेदारी की भावना से मिलकर काम किया है।
माननीय प्रधानमंत्री ने सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद पर विचार-विमर्श करने और इसे और मजबूत करने का अवसर प्रदान करने में शासी परिषद की बैठक के महत्व पर जोर दिया।
छठी बैठक से पहले 6 फरवरी, 2021 को वरिष्ठ राज्य अधिकारियों के साथ विस्तृत बातचीत हुई, जिसके फीडबैक को बैठक के एजेंडे को तैयार करते समय विधिवत शामिल किया गया। एजेंडे में निम्नलिखित मद शामिल थे:
1. भारत को विनिर्माण क्षेत्र में महाशक्ति बनाना
2. कृषि की पुनर्कल्पना
3. भौतिक अवसंरचना में सुधार
4. मानव संसाधन विकास में तेजी लाना
5. जमीनी स्तर पर सेवा वितरण में सुधार
6. स्वास्थ्य और पोषण
परिषद ने भारत को विनिर्माण क्षेत्र में महाशक्ति बनाने के लिए कई कदमों पर विचार-विमर्श किया, जैसे अनुपालन बोझ को कम करना, राज्य स्तर पर सुधार शुरू करना, लॉजिस्टिक्स में सुधार करना, जिला-स्तरीय प्रतिस्पर्धा के माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देना और रोजगार सृजन करना। राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों ने जल उपलब्धता, गुणवत्तापूर्ण और विश्वसनीय बिजली की आपूर्ति, इंटरनेट कनेक्टिविटी और बैंडविड्थ उपलब्धता, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं और जलवायु परिवर्तन के जोखिमों को कम करने के लिए सतत कृषि पद्धतियों में सुधार के लिए किए गए प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने उन्नत विनिर्माण और नवाचार इकोसिस्टम बनाने के लिए उपयुक्त सुधार करने का भी उल्लेख किया, जिससे भविष्य की तकनीक और समावेशी शासन मॉडल के निर्माण के अलावा वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट पहल के माध्यम से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्रियों ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में डिजिटल कनेक्टिविटी सहित भौतिक बुनियादी ढांचे के विकास में उल्लेखनीय सुधार के साथ-साथ एक्ट ईस्ट नीति पर अधिक जोर देने का भी उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्यों की अर्थव्यवस्थाओं को गति प्रदान करना है।
भारत जैसे युवा देश की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए माननीय प्रधानमंत्री ने आधुनिक अवसंरचना के निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया। नवाचार को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, और शिक्षा और कौशल विकास के लिए बेहतर अवसर प्रदान करने हेतु अधिक प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए।
शासी परिषद की बैठक में हर राज्य की क्षमता के आधार पर आगे बढ़ने का प्रयास किया गया है ताकि हर कोई एक-दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं से सीख सके। परिषद के सदस्यों ने कार्यबल के कौशल, पुनर्कौशल और कौशल उन्नयन के लिए संस्थानों को मजबूत करने पर विचार-विमर्श किया। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए डिजिटल अवसंरचना को सुनिश्चित करके जमीनी स्तर पर सेवा वितरण में सुधार पर भी ध्यान केंद्रित किया गया
माननीय प्रधानमंत्री ने नीतिगत ढांचे और केंद्र तथा राज्यों के बीच बेहतर समन्वय पर जोर दिया। उन्होंने परिषद के सदस्यों द्वारा की गई गहन चर्चा और रचनात्मक सुझावों का स्वागत किया।
शासी परिषद की बैठक ने एजेंडा मदों में पर्याप्त सहकार्यता और सहयोग के साथ सरकार के सभी स्तरों पर तालमेल का मार्ग प्रशस्त किया। बैठक ने आर्थिक, सामाजिक और जनसांख्यिकीय कल्याण को आगे बढ़ाने के उद्देश्यों को संबोधित करने का अवसर प्रदान किया।
- पांचवीं बैठकः 15 जून, 2019

नीति आयोग की शासी परिषद की पांचवीं बैठक 15 जून 2019 को राष्ट्रपति भवन में भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इसमें जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल, 26 मुख्यमंत्रियों और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के उप राज्यपाल के अलावा केंद्रीय मंत्रियों ने भाग लिया, जो पदेन सदस्य और विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। बैठक में नीति आयोग के उपाध्यक्ष, सदस्य, मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
माननीय प्रधानमंत्री ने सहकारी संघवाद को प्रेरित करने के लिए एक मंच के रूप में नीति आयोग की शासी परिषद के महत्व पर प्रकाश डाला और गरीबी, बेरोजगारी, सूखा, प्रदूषण, पिछड़े इलाकों और भारत की प्रगति में बाधा डालने वाले ऐसे सभी कारकों से सामूहिक रूप से निपटने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमारा लक्ष्य इस महान देश की क्षमता का एहसास करना है ताकि हम 2022 तक एक नया भारत और 2024 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सके।
माननीय प्रधानमंत्री ने प्रत्येक राज्य द्वारा अपनी निर्यात क्षमता का मूल्यांकन करके तथा निर्यात बढ़ाने और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कदम निर्धारित करके देश के सकल घरेलू उत्पाद में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
विभिन्न मुख्यमंत्रियों द्वारा की गई उपयोगी चर्चा और सुझावों का स्वागत करते हुए माननीय प्रधानमंत्री ने परिषद को आश्वासन दिया कि निर्णय लेने के दौरान इन सुझावों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। पांचवीं परिषद बैठक से पहले एजेंडा में निम्नलिखित मद शामिल थे:
1. वर्षा जल संचयन
2. सूखे की स्थिति और राहत उपाय
3. आकांक्षी जिला कार्यक्रम: उपलब्धियां और चुनौतियां
4. कृषि में बदलाव: संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता, जिसमें निम्नलिखित पर विशेष जोर दिया जाएगा:
o कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम
o आवश्यक वस्तु अधिनियम (ईसीए)
5. सुरक्षा संबंधी मुद्दे, वामपंथी अतिवाद से प्रभावित जिलों पर विशेष ध्यान
माननीय प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण की दिशा में राज्यों के प्रयासों की सराहना की और सभी राज्यों से जल प्रबंधन के अभिनव उपायों को कारगर बनाने और लागू करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जल शक्ति मंत्रालय का गठन केंद्र सरकार द्वारा जल को एक विकासात्मक संसाधन के रूप में एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
माननीय प्रधानमंत्री ने कृषि में संरचनात्मक सुधारों पर एक उच्च स्तरीय समिति के गठन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि वैश्विक परिस्थितियाँ वर्तमान में भारत के लिए एक अनूठा अवसर प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि भारत ईज़-ऑफ़-डूइंग बिज़नेस जैसे वैश्विक मानदंडों पर खुद को स्थापित कर रहा है।
माननीय प्रधानमंत्री ने दोहराया कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ साझेदारी करने तथा भारत के विकास के लिए मिलकर काम करने के लिए इच्छुक है।
- चौथी बैठकः 17 जून, 2018
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नीति आयोग की शासी परिषद की चौथी बैठक 17 जून, 2018 को राष्ट्रपति भवन में हुई। परिषद ने निम्नलिखित विषयों पर चर्चा की:
1. किसानों की आय दोगुनी करने के लिए उठाए गए कदम, जिनमें शामिल हैं:
ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार मृदा स्वास्थ्य कार्ड ग्रामीण/कृषि हाट/ग्रामीण कृषि बाजार (ग्राम) मनरेगा और जल संरक्षण में इसका योगदान 2. सरकार की प्रमुख योजनाओं के अंतर्गत की गई प्रगति: आयुष्मान भारत पोषण अभियान मिशन इंद्रधनुष3. आकांक्षी जिला कार्यक्रम के अंतर्गत विशेष रूप से चिन्हित जिलों की विकासात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उठाए गए कदम।
4. 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने के लिए प्राप्त सुझाव।
दिन भर चली चर्चाओं के अंत में माननीय प्रधानमंत्री ने सहकारी संघवाद को प्रेरित करने के लिए एक मंच के रूप में नीति आयोग की शासी परिषद के महत्व पर प्रकाश डाला, तथा विकासात्मक परिणामों को आगे बढ़ाने और भारत के लिए द्वि-अंकी वृद्धि हासिल करने के लिए प्रभावी केंद्र-राज्य सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने राज्यों से अपनी अर्थव्यवस्थाओं के लिए विकास लक्ष्य तय करने का आह्वान किया। उन्होंने राज्यों को अपने निवेश संबंधी शिखर सम्मेलनों और कार्यक्रमों का आयोजन करते समय अपने निर्यात को बढ़ाने और निर्यातोन्मुखी निवेश को आकर्षित करने पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी। माननीय प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश, बिहार, सिक्किम, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से ‘कृषि और मनरेगा’ विषय पर समन्वित नीति दृष्टिकोण पर सिफारिशें करने के लिए मिलकर काम करने को कहा। उन्होंने राज्यों को कृषि में कॉर्पोरेट निवेश बढ़ाने के लिए भी प्रोत्साहित किया, जैसे कि खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण और लॉजिस्टिक्स में। उन्होंने 15 अगस्त 2018 तक 45,000 अतिरिक्त गांवों और 115 आकांक्षी जिलों में सात प्रमुख योजनाओं के लिए 100% कवरेज प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराई। उन्होंने राज्यों से विकास को जमीनी स्तर तक ले जाने के लिए 'आकांक्षी ब्लॉकों' की पहचान करने का आग्रह किया। - तीसरी बैठकः 23 अप्रैल, 2017
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शासी परिषद की तीसरी बैठक 23 अप्रैल, 2017 को आरबीसीसी, राष्ट्रपति सचिवालय, नई दिल्ली में आयोजित की गई। नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने 15 वर्षीय विज़न पर एक प्रस्तुति दी, जिसमें 7 वर्षीय रणनीति और 3 वर्षीय कार्य एजेंडा शामिल था। उन्होंने बैठक में प्रसारित मसौदा कार्य एजेंडा की रूपरेखा दी, जिसे राज्यों से प्राप्त इनपुट के आधार पर तैयार किया गया था। नीति आयोग के सीईओ ने नीति आयोग की की गई कार्रवाई रिपोर्ट और पहलों पर एक प्रस्तुति दी, और राजस्व सचिव ने जीएसटी पर एक प्रस्तुति दी, जिसमें इस प्रणाली के लाभों और भावी योजनाओं के बारे में बताया गया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों की आय दोगुनी करने पर एक प्रस्तुति दी, जिसमें सिंचाई, प्रौद्योगिकी उत्पादन और प्रसार, नीति और बाजार सुधार, ई-नाम, पशुधन उत्पादकता आदि जैसे क्षेत्रों पर चर्चा की गई। माननीय प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में क्षेत्रीय असंतुलन से संबंधित विभिन्न मुद्दों; सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार को कम करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए राज्यों द्वारा जेम (GeM) प्लेटफॉर्म का उपयोग; राज्यों द्वारा जिला खनिज निधि और कैम्पा निधि जैसे निधियों के बेहतर उपयोग के लिए रोडमैप तैयार करना; आदि पर चर्चा की।
- दूसरी बैठकः 15 जुलाई, 2015
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नीति आयोग की शासी परिषद की दूसरी बैठक 15 जुलाई, 2015 को हुई। माननीय प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के दृष्टिकोण को दोहराया- कि राज्य इकाइयों को 'टीम इंडिया' के भाग के रूप में सभी विकास प्रयासों का केंद्र होना चाहिए। परिषद ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम में उचित मुआवज़ा और पारदर्शिता के अधिकार पर विचार-विमर्श किया। बैठक में अपने उद्घाटन भाषण में, माननीय प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीबी को समाप्त करने के लिए केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण पर राजनीतिक गतिरोध ग्रामीण विकास को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है, जिसमें स्कूल, अस्पताल, सड़क बनाना और सिंचाई परियोजनाएं शामिल है। उन्होंने सभी से अपील की कि राजनीतिक बातें ऐसे समाधान के आड़े नहीं आने चाहिए जिससे ग्रामीण क्षेत्रों का विकास हो सके और किसानों की समृद्धि बढ़े।
- पहली बैठकः 8 फरवरी, 2015

नीति आयोग की शासी परिषद की पहली बैठक 8 फरवरी, 2015 को हुई। माननीय प्रधानमंत्री ने सभी मुख्यमंत्रियों से केंद्र के साथ मिलकर सहकारी संघवाद का एक मॉडल बनाने का आग्रह किया, जिससे केंद्र और राज्य एक साथ मिलकर मतभेदों को सुलझा सकें और प्रगति और समृद्धि के लिए एक साझा रास्ता बना सकें। इसलिए, सहकारी संघवाद की भावना में, शासी परिषद ने निर्णय लिया कि नीति आयोग मुख्यमंत्रियों के तीन प्रमुख उप समूहों का गठन करेगा:
1. केंद्र प्रायोजित योजनाओं का युक्तिकरण
2. कौशल विकास
3. स्वच्छ भारत अभियान
इसके अलावा, यह भी निर्णय लिया गया कि राज्य नीति आयोग के नेतृत्व में दो टास्कफोर्स स्थापित करेंगे:
1. कृषि विकास
2. गरीबी उन्मूलन
नीति आयोग द्वारा सभी उप समूहों की रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंप दी गई है।
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