मेथनॉल कम कार्बन वाला हाइड्रोजन वाहक ईंधन है जो उच्च राख वाले कोयले, कृषि अवशेषों, थर्मल पावर प्लांटों के CO2 उत्सर्जन और प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है। यह सीओपी 21 के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करने का सबसे अच्छा मार्ग है।
नीति आयोग के 'मेथनॉल अर्थव्यवस्था' कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के तेल आयात बिल, ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन को कम करना और कोयला भंडार और नगरपालिका ठोस कचरे को मेथनॉल में परिवर्तित करना है।
हालांकि मेथनॉल में पेट्रोल और डीजल की तुलना में ऊर्जा की मात्रा थोड़ी कम होती है, परंतु यह परिवहन क्षेत्र (सड़क, रेल और समुद्री), ऊर्जा क्षेत्र (जिसमें डीजी सेट, बॉयलर, प्रोसेस हीटिंग मॉड्यूल, ट्रैक्टर और वाणिज्यिक वाहन शामिल हैं) और खुदरा कुकिंग में (एलपीजी को आंशिक रूप से, मिट्टी के तेल और लकड़ी के कोयला को पूरी तरह प्रतिस्थापित करते हुए) इन दोनों ईंधन की जगह ले सकता है। गैसोलीन में 15 प्रतिशत मेथनॉल के मिश्रण से गैसोलीन/कच्चे तेल के आयात में कम से कम 15 प्रतिशत की कमी हो सकती है। इसके अलावा, इससे पार्टिकुलेट मैटर, नाइट्रिक ऑक्साइड और एसओएक्स के मामले में जीएचजी उत्सर्जन में 20 प्रतिशत की कमी आएगी, जिससे शहरी वायु की गुणवत्ता में सुधार होगा।
मेथनॉल अर्थव्यवस्था मेथनॉल उत्पादन/अनुप्रयोग और वितरण सेवाओं के माध्यम से लगभग 5 मिलियन नौकरियां भी पैदा करेगी। इसके अतिरिक्त, एलपीजी में 20 प्रतिशत डीएमई (डाइ-मिथाइल ईथर, जो मेथनॉल का व्युत्पन्न है) मिलाकर सालाना 6000 करोड़ रुपये बचाए जा सकते हैं। इससे उपभोक्ता को प्रति सिलेंडर 50-100 रुपये की बचत करने में मदद मिलेगी।
भारतीय मानक ब्यूरो ने एलपीजी के साथ 20 प्रतिशत डीएमई मिलाने की अधिसूचना जारी कर दी है, और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा एम-15, एम-85, एम-100 मिश्रण के लिए अधिसूचना जारी की गई है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया और सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के परामर्श से एम-15 मिश्रण के लिए परीक्षण मानक और योजनाएं विकसित की जा रही हैं। रेलवे क्षेत्र में, आरडीएसओ लोकोमोटिव में प्रत्यक्ष ईंधन इंजेक्शन के माध्यम से 5 से 20 प्रतिशत की सीमा में मेथनॉल मिलाने की दिशा में काम कर रहा है।
5 अक्टूबर 2018 को, असम पेट्रोकेमिकल्स ने एशिया का पहला कनस्तर आधारित मेथनॉल कूकिंग ईंधन कार्यक्रम शुरू किया। यह पहल कच्चे तेल के आयात को कम करने और खाना पकाने का स्वच्छ, लागत प्रभावी और प्रदूषण मुक्त माध्यम उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास करने के हमारे माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण का विस्तार है। मेथनॉल स्टोव से परिवार कम से कम 20 प्रतिशत की बचत कर सकते हैं। पायलट परियोजना की सफलता के बाद, मेथनॉल कुकिंग कार्यक्रम को उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, झारखंड और मणिपुर में 1,00,000 घरों तक बढ़ाया गया।
इज़राइल के साथ संयुक्त उद्यम में अधिक राख वाले कोयले पर आधारित पांच मेथनॉल संयंत्र, पांच डीएमई संयंत्र और प्रति वर्ष 20 मिलियन मीट्रिक टन की क्षमता वाला एक प्राकृतिक गैस आधारित मेथनॉल उत्पादन संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई गई है। समुद्री ईंधन के रूप में मेथनॉल का उपयोग करने के लिए भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के लिए कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा तीन नावों और सात मालवाहक जहाजों का निर्माण किया जा रहा है।
थर्मैक्स लिमिटेड ने डायरेक्ट मेथनॉल फ्यूल सेल (डीएमएफसी) पर 5 किलोवाट के मेथनॉल आधारित रिफॉर्मर का सफलतापूर्वक विकास किया है। मोबाइल टावरों में डीजी सेट को प्रतिस्थापित करने के लिए इस मॉड्यूल का परीक्षण किया जा रहा है। प्रत्यक्ष बिजली उत्पादन के लिए, किर्लोस्कर ऑयल इंजन लिमिटेड ने 100 प्रतिशत मेथनॉल पर चलाने के लिए 5 किलोवाट के जनरेटर सेट को परिवर्तित किया है। डोर केमिकल्स, इज़राइल के सहयोग से किर्लोस्कर 150-300 केवीए/किलोवाट क्षमता के जनरेटर सेट को परिवर्तित करने की दिशा में काम कर रहा है।
अनुसंधान एवं विकास के तहत, स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके देश में कोयला-से-मेथनॉल संयंत्र स्थापित करने का काम प्रगति पर है, जिसे बीएचईएल (हैदराबाद और त्रिची), थर्मैक्स और आईआईटी दिल्ली द्वारा विकसित किया जा रहा है। थर्मैक्स और आईआईटी दिल्ली एक टीपीडी प्रदर्शन संयंत्र पर काम कर रहे हैं, जबकि बीएचईएल हैदराबाद और त्रिची क्रमशः 1 टीपीडी और 40 टीपीडी प्रदर्शन संयंत्र पर काम कर रहे हैं।
बायोमास से मेथनॉल के उत्पादन के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु और प्राज इंडस्ट्रीज पुणे को एक अनुसंधान एवं विकास परियोजना भी स्वीकृत की गई है। बायोमास से सिनगैस के उत्पादन के पहले चरण-1 का प्रदर्शन जनवरी 2019 में किया गया था।
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