नीति आयोग का गठन सहकारी संघवाद के महत्वपूर्ण लक्ष्य को साकार करने और भारत में सुशासन को सक्षम करने के लिए किया गया है। इस विचार पर कि मजबूत राज्य मजबूत राष्ट्र का निर्माण करते हैं, नीति आयोग राष्ट्रीय विकास एजेंडे की दिशा में काम करने के लिए राज्यों को 'टीम इंडिया' के रूप में एक साथ लाकर भारत सरकार के लिए सर्वोत्कृष्ट मंच के रूप में कार्य करता है।
इसे देखते हुए, नीति आयोग द्वारा राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ सतत आधार पर संरचित समर्थन पहल और जुड़ाव के माध्यम से सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इनमें प्रधानमंत्री/कैबिनेट मंत्रियों और सभी मुख्यमंत्रियों के बीच बैठकें; राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर मुख्यमंत्रियों के उपसमूह; सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना; राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के पदाधिकारियों का क्षमता विकास और नीति समर्थन; पिछड़े जिलों के विकास के लिए आकांक्षी जिला कार्यक्रम का शुभारंभ; विभिन्न क्षेत्रों में विषय आधारित व्यापक सहभागिता; भूमि पट्टे और कृषि विपणन सुधारों के लिए मॉडल कानून तैयार करना; और उत्तर-पूर्वी एवं हिमालयी राज्यों के लिए क्षेत्र विशिष्ट अन्तःक्षेप और द्वीप विकास शामिल हैं।
नीति आयोग केंद्र, राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को प्रासंगिक तकनीकी सलाह प्रदान करता रहा है। नीति आयोग ने बुनियादी ढांचे के विकास और सार्वजनिक - निजी भागीदारी को पुनर्जीवित करने और स्थापित करने के लिए मॉडल और कार्यक्रम भी स्थापित किए हैं, जैसे कि केंद्र-राज्य साझेदारी मॉडल राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के लिए विकास सहायता सेवाएं (डीएसएसएस); और मानव पूंजी परिवर्तन के लिए सतत कार्रवाई (एसएटीएच) कार्यक्रम।
सहकारी संघवाद